May 18, 2024

 

नेटवर्क24:-  र्अतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल के 8 मार्च को मनाया जाता है, इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य है महिलाओं के अधिकार के साथ साथ शांति को बढ़ावा देना लेकिन इसकी शुरुआत क्यो हुई इसके पीछे की वजह क्या है 1908 में एक अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत हुई ये दिवस एक मजदूर आंदोलन से उपजा है जब 15000 औरतों ने न्यूयार्क शहर में मार्च निकाला कर नौकरी में कम घंटो की मांग की थी ।इसके अलावा उनकी मांग थी कि उन्हें बेहतर वेतन दिया जाय और मतदान करने का अधिकार दिया जाय एक साल बाद शोसलिस्ट पार्टी आफ अमेरिका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया और तभी से आस पास के सभी अन्य देशों में भी 8 मार्च को बड़े धूम धाम से इसे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में एक पर्व की तरह मनाना शुरू कर दिया जबकि हमारा भारत देश मे महिलाओं को शुरू से ही सम्मान के नजरिये से देखा गया हैl

इस पर्व को काफी बड़े पैमाने पर मनाया जाता है आज इसी अवसर पर हमारे संवाददाता एक ऐसी महिला से मुलाकात किया जो एक अनाथ बच्चो को लेकर उनके परवरिश की हर चिंता करते हुवे उनके उज्ज्वल भविष्य को बनाने के लिए कैसे उन्होंने मेहनत किया है और इस अवसर पर उस महिला ने क्या संदेश दिया है रिपोर्ट देखिए जनपद कुशीनगर के विकाश खण्ड पडरौना के गांव परसौनी कला में निवास करने वाली एक वृद्ध महिला श्रीमती बसूमता ने बीते वर्षो एक अनाथालय का न्यू डाला था आज तमाम अनाथ बच्चे है जिनको अपने बच्चे के तरह से उनका पालन पोषण करना उनका आदत से बन चुका है आज उनके पास लगभग 35 बच्चे है जो नौजात से ही पले बड़े है आज उनके भोजन पानी से लगायत जरूरत के हर साजो सामान पूरा करने में उनकी उम्र खत्म हो गई इस अनाथ बच्चों के हर क्रिया कर्म उनका धर्म हो चुका है महिलाओं का कितना रूप होता है आज इस महिला को देखने के बाद महसूस किया जासकता है इन बच्चो की जिंदगी आज इस बुजुर्ग महिला के परिवार के लोगो की जिंदगी बन चुकी है कभी कभार जिले के तमाम लोग इन बच्चो के लिए हमेशा भोजन पानी का अपने तरफ से भी इंतजाम किया करते है वही आज पडरौना नगर के एक व्यवसायी ने अपने बच्चो के हाथों इन अनाथ बच्चो के लिए भोजन वगैरह का वितरण किया जिसको देखते ही इन अनाथ बच्चों के चेहरे पर खुसी देखने को मिली वही आज उस बेटी से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि महिलाओं का हर व्यक्ति के द्वारा सम्मान करना चाहिए आज महिलाएं कहि पुरुषों सेकम नही है आज तमाम जगज देखा जारहा है कि आज लोगमहिलाओ का सम्मान नही करते है सरकारी दफ्तरों में महिलाएं न्याय के लिए दर दर की ठोकरे खाती है जबकि उनका हमेशा सम्मान करना चाहिए वही इस अनाथालय संस्थान में अपनी पूरी उम्र को निछावर करे वाली महिला श्रीमती बसुमता ने बताया कि हमारे देश मे सबसे ज्यादा महिलाओं को सम्मान किया जाता है आज हमारे देश मे जितना महिलाओं का सम्मान है किसी भी देश मे नही है इस अवसर पर हम कहना चाहेंगे कि महिलाओं का अनेको रूप है महिला कहि बेटी,तो कही बहु तो कही,बहन तो कही मां बनकर कर अपने फर्ज को अदा करती है इसी लिए हर पुरुष को चाहिए कि महिलाओं का अगर सम्मान करते है तो अपने बहन बेटी का सम्मान करते है ।

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